प्रेरणा हैं राम। मर्यादा हैं राम। प्रेरणा हैं राम। मर्यादा हैं राम।
जैसे मौसम के विचित्र सुहाने पल हर दफ़ा बदलते हों. जैसे मौसम के विचित्र सुहाने पल हर दफ़ा बदलते हों.
फैलो भ्रष्टाचार कन्हैया जी, ले लो फिर अवतार। फैलो भ्रष्टाचार कन्हैया जी, ले लो फिर अवतार।
राम जाने क्यों जीव ही जीव की मर्यादा खोती है घणी मर्यादा की रेखा नारी की ही होती है। राम जाने क्यों जीव ही जीव की मर्यादा खोती है घणी मर्यादा की रेखा नारी की ही ह...
अब ढलती उम्र में कदम बहकाया, सच कहूँ सोच पसीना आया अब ढलती उम्र में कदम बहकाया, सच कहूँ सोच पसीना आया
प्रेम विरह की ज्वाला में, तन, मन, काठ सा जल जाय l प्रेम विरह की ज्वाला में, तन, मन, काठ सा जल जाय l